उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कुमाऊँ विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह में युवाओं को दी लोकतंत्र रक्षा की प्रेरणा।

नैनीताल, 25 जून 2025

आपातकाल लोकतंत्र को नष्ट करने वाला भूकंप था – उपराष्ट्रपति धनखड़

नैनीताल। कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल के स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि आपातकाल लोकतंत्र के लिए एक ऐसा भूकंप था जिसने संविधान और नागरिक अधिकारों को गहरे आघात पहुँचाया। उन्होंने छात्रों, शिक्षकों और उपस्थित गणमान्यजनों को संबोधित करते हुए वर्ष 1975 में लगे आपातकाल को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का “सबसे अंधकारमय कालखंड” बताया।

उन्होंने कहा, “पचास वर्ष पूर्व इसी दिन, एक अनपेक्षित निर्णय के तहत आपातकाल लागू किया गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत हित में राष्ट्रहित की अनदेखी की और राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित आपातकाल की घोषणा ने लोकतंत्र को गहरा आघात पहुँचाया।”

उपराष्ट्रपति ने जानकारी दी कि उस समय लगभग 1.4 लाख लोगों को जेलों में डाला गया, न्याय व्यवस्था ठप पड़ गई और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नौ उच्च न्यायालयों के निर्णय पलटे गए, जिससे आम नागरिकों के मौलिक अधिकार खत्म हो गए।

उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे ‘संविधान हत्या दिवस’ को एक चेतावनी के रूप में लें और इस बात को समझें कि लोकतंत्र की रक्षा केवल नेताओं की नहीं, बल्कि हर नागरिक विशेषकर युवाओं की जिम्मेदारी है।

शिक्षा संस्थानों को बताया नवाचार और विचारों की प्रयोगशाला

श्री धनखड़ ने कहा कि शैक्षणिक परिसर केवल डिग्री प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि विचार और नवाचार के प्राकृतिक स्थल हैं। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा, “Just do it — Do it now” और उन्हें भारत की नियति गढ़ने में भागीदार बनने का संदेश दिया।

पूर्व छात्रों के महत्व पर बोलते हुए उन्होंने कहा, “अगर 1 लाख पूर्व छात्र हर वर्ष ₹10,000 का योगदान करें तो विश्वविद्यालय सालाना ₹100 करोड़ का आत्मनिर्भर फंड खड़ा कर सकता है।” उन्होंने पूर्व छात्र संघ की स्थापना का भी आह्वान किया।

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की सराहना की

इस अवसर पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कुमाऊँ विश्वविद्यालय के 50 वर्षों की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्थान नवाचार, अनुसंधान और नेतृत्व में निरंतर अग्रणी रहा है।

राज्यपाल ने कहा कि “भारत की 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है, और इस जनसांख्यिकीय लाभ को तभी सार्थक बनाया जा सकता है जब युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, कौशल और सामाजिक चेतना से सशक्त किया जाए।”

उन्होंने शिक्षकों से विद्यार्थियों में ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना विकसित करने, तकनीक का उपयोग करने, शोध में दक्षता लाने और मूल्य आधारित शिक्षा पर बल देने की अपील की।

‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत पौधारोपण

कार्यक्रम से पूर्व उपराष्ट्रपति ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत अपने माता-पिता की स्मृति में दो पौधे लगाए।

इस अवसर पर राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत, विधायक सरिता आर्या, विधायक राम सिंह कैड़ा, पूर्व सांसद डॉ महेन्द्र पाल, मंडलायुक्त दीपक रावत, आईजी रिद्धिम अग्रवाल, जिलाधिकारी वंदना, कुलपति दीवान सिंह रावत, ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. ओ.पी.एस. नेगी, जी.बी. पंत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ मनमोहन सिंह चौहान समेत अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।

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