घुघुतिया त्यार: काले कौवे की पुकार और कुमाऊं की परंपरा का त्योहार।

कुमाऊं की पहाड़ियों में मकर संक्रांति के अवसर पर घुघुतिया त्यार मनाया जाता है, जो कुमाऊं की संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

इस त्योहार की तैयारी कई दिनों पहले से शुरू हो जाती है। घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनमें घुघुति, पूड़ी, बड़े पुवे, सिंगल, और चावल से बनी खीर आदि शामिल हैं। घुघुति एक विशेष प्रकार का व्यंजन है, जो आटा और सूजी को मिलाकर बनाया जाता है।

त्योहार के दिन बच्चे सुबह उठकर स्नान करते हैं, घुघुति की माला पहनते हैं, और अपनी छत पर जाकर कौवे को बुलाने के लिए एक मधुर गीत गाते हैं। कौवे के आने पर वे अपनी घुघुति की माला कौवे को अर्पित करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

इस त्योहार का एक और महत्वपूर्ण पहलू है गंगा स्नान। लोग इस दिन गंगा नदी में स्नान करते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। यह एक पवित्र अनुभव माना जाता है, जो आत्मा को शुद्ध करता है और मन को शांति प्रदान करता है।

मकर संक्रांति का त्योहार कुमाऊं की संस्कृति और परंपरा का अमूल्य हिस्सा है। यह त्योहार हमें अपनी जड़ों से जुड़ने और अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का अवसर प्रदान करता है।

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य पंडित प्रकाश जोशी के अनुसार,
पुण्य काल: सुबह 9:03 से सुबह 10:48 बजे तक।
• अगर किसी कारणवश इस समय में स्नान नहीं कर पाएं, तो दिन में किसी भी समय स्नान कर सकते हैं, क्योंकि मकर संक्रांति का पुण्य काल शाम 5:46 बजे तक रहेगा।

इन शुभ घड़ियों में स्नान, दान, और पूजा-अर्चना करने से मकर संक्रांति के पुण्य का लाभ प्राप्त होता है।

काले कौवा काले, घुघुति माला खाले!
ल्हे कौवा बड़ो, मैं कें दीजा सुनुक घड़ो!
लहे कौवा ढाल, मैं कै दीजा सुनुक थाल!
ल्हे कौवा पुरी, मैं के दीजा सुनुक छुरी!
लहे कौवा तलवार, मैं कैं दे ठुलो घरबार!
काले कौवा काले, पूसै रोटी माघे खाले!

यह कुमाऊं का एक पारंपरिक गीत है, जो मकर संक्रांति के अवसर पर गाया जाता है। इस गीत में बच्चे कौवे को बुलाते हैं और उन्हें घुघुति की माला अर्पित करते हैं। वे कौवे से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *