
नैनीताल। मकर संक्रांति को कुमाऊं में घुघुतिया त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार कुमाऊ में 2 दिन में मनाया जाता है। इन 2 दिनों का विभाजन बागेश्वर जनपद के बहने वाली पवित्र सरयू नदी से किया जाता है। सरयू नदी के पूर्वी भाग में उस पार इसका आयोजन पौष मास के अंतिम दिन अर्थात 13 जनवरी को किया जाता है यानि घुघुति पौष मास के अंतिम दिन बनाए जाते हैं और माघ मास के प्रथम दिन इसको कौवे को खिलाया जाता है। इसी कारण इ्से पुषुडिया त्यार कहा जाता है। इसी प्रकार सरयू नदी के इस पार के समस्त कुमाऊं में यह मकर संक्रांति के दिन अर्थात माघ मास के प्रथम दिन मनाते हैं। और माघ महीने के दूसरे दिन इन्हें कौवे को दिया जाता है। यह त्यौहार भले ही अलग-अलग दिन मनाया जाता है या लेकिन त्यौहार में बनने वाले व्यंजन और परंपरा लगभग पूरे उत्तराखंड में एक समान होते हैं।
आचार्य हिमांशु मिश्रा ने बताया कि मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण हो जाते है, इस समय सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है जिससे सूर्य की गति के कारण दिन लंबे होने लगते है और आज के दिन तिल का दान करने का विशेष महत्व है और इन दिनों तिल से बनी चीजें खाई भी जाती है। साथ ही इस महीने से शुभ कार्य भी शुरू हो जाते हैं और इस माह में खिचड़ी दान का भी विशेष महत्व होता है।