:गोवर्धन पूजा पर पहाड़ों में आज भी जीवंत है गाय को ठाप लगाने की परंपरा
नैनीताल। देश भर के साथ ही देवभूमि उत्तराखंड में भी गोवर्धन पूजा हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है और इस दिन गाय की पूजा कर उन पर ठाप भी लगाए जाते हैं।
नैनीताल निवासी आचार्य पंडित प्रकाश जोशी ने बताया कि गोवर्धन पूजा के दिन गायों को टीका लगाकर फूल माला पहनाई जाती है और इसके बाद कमेट यानी एक प्रकार से सफेद रंग की मिट्टी का घोल या भीगे चावलों को सिलबट्टे में बारीक पीसकर पानी डालकर गाढ़े दूध जैसा बना कर एक गहरे बर्तन में रखा जाता है। जिसे स्थानीय भाषा में कसार का पानी कहते हैं। इसके बाद “माणा “अर्थात खाना बनाने के चावल नापने के गिलास जिसमें लगभग पाव भर चावल आते हैं उसमें एक (+) धन के आकार में एक मोटा धागा बांधा जाता है। उसके बाद उस घोल में डुबोकर गाय में ठप्पे लगाते हैं जिस प्रक्रिया को ठाप लगाना या कहीं कहीं ढाप लगाना कहते हैं। गाय के शरीर पर यह ठाप 4 या 5 दिन तक रहते हैं। इस प्रक्रिया के लिए पंडितों से शुभ मुहूर्त एवं भद्रा आदि की जानकारी प्राप्त की जाती है।
इस बार 22 अक्टूबर 2025 दिन बुधवार को गोवर्धन पूजा मनाई जाएगी। इस दिन यदि प्रतिपदा तिथि 34 घड़ी 47 पल अर्थात रात्रि 8:17 बजे तक रहेगी। स्वाति नामक नक्षत्र 48 घड़ी 45 पल अर्थात मध्य रात्रि 1:52 बजे तक है। इस दिन चंद्र देव पूर्ण रूपे से तुला राशि में विराजमान रहेंगे। पूजा के लिए दोपहर 3:13 बजे से शाम 5:49 बजे तक श्रेष्ठ मुहूर्त है क्योंकि इस दौरान स्वाति नक्षत्र और प्रीति योग का संयोग बना रहा है।