नैनीताल। मोहर्रम का चांद दिखने के बाद तल्लीताल शिया समुदाय में मजलिसों का दौर शुरू हो चुका है। जिसमें मुरादाबाद सिरसी से आए मौलाना सैय्यद सादाब मेंहदी की ओर से मजलिसों को खिताब किया जा रहा है।
मौलाना ने बताया कि आज से 1400 साल पहले ईराक में करबला के मैदान में मो. साहब के नवासे इमाम हुसैन ने दीन ए इस्लाम को बचाने के लिए अपने 72 साथियों के साथ खुदा की राह में कुर्बानी पेश की थी। जिसमें ईमाम हुसैन के साथ 86 साल के सहाबी हबीब इब्ने मजाहिर व इमाम हुसैन के 6 माह के बेटे अली असगर ने भी अपनी शहादत पेश की। इमाम हुसैन के काफिले में भाई अंसार के साथ ही महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे जिनको यजीद नाम के क्रूर व्यक्ति ने 10 मुहर्रम को सभी को शहीद करके महिलाओं और बच्चों को कैदी बनाकर कर्बला से कूफा, कूफा से शाम फिराया गया जिसमें ईमाम हुसैन की चार साल की बेटी शकीना की शहादत शाम के कैदखाने में हुई। इन्हीं की याद में हर साल पूरी दुनिया में मुहर्रम मनाया जाता है।
तल्लीताल सिया समुदाय के सदर फरमान अली खान ने बताया कि मजलिसों का सिलसिला 27 जून से चल रहा है और 6 जुलाई को संपन्न होगा। 6 जुलाई को हरीनगर से एक मातम ए जुलूस मोटापानी तल्लीताल तक निकाला जाएगा।
6 जुलाई को तल्लीताल में निकाला जायेगा मातम ए जुलूस।
