चारखेत माउंट मैजिक में नैनीताल लिटरेचर फेस्टिवल का हुआ शुभारंभ।

नैनीताल। नैनीताल के चारखेत स्थित माउंटेन मैजिक में शुक्रवार को तीन दिवसीय नैनीताल साहित्य महोत्सव का शुभारंभ हुआ। जिसमें कई प्रतिष्ठित साहित्यकार एकत्रित हुए और कथा-वाचन, ज्ञानवर्धक सत्र और समृद्ध व्याख्यानों का संगम देखने को मिला। फेस्टिवल फाउंडर और लेखनी फाउंडेशन के चेयरपर्सन अमिताभ सिंह बघेल ने सत्र का उद्घाटन करते हुए सबका स्वागत किया। पुष्पेश पंत ने मार्गदर्शन और अंशु खन्ना ने सलाहकार के रूप में सहयोग दिया। कार्यक्रम संचालिका कनिका त्रिपाठी रहीं।
सर्वप्रथम अनहद मॉर्निंग रागास कार्यक्रम में रवि जोशी ने अमन महाजन और गौरव बिष्ट के साथ मिलकर शास्त्रीय संगीत की मनमोहक प्रस्तुति दी। जिसके बाद एक्सपैंडिंग होराइजन्स ऑफ लिटरेचर सत्र में इंदु पांडे ने साहित्य के बदलते परिदृश्य पर अपने विचार साझा किए। ग्रोइंग अप विद वर्ड्स सत्र में प्रसिद्ध लेखिका अर्थी मुथन्ना सिंह ने स्वाति दिग्विजय बोरा के साथ साहित्य के साथ बचपन के जुड़ाव पर हृदयस्पर्शी चर्चा की। द इसेंशियल गालिब नामक सत्र में साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता डॉ. अनीसुर रहमान और भूपेंद्र चौबे ने मिर्ज़ा ग़ालिब की कालजयी रचनाओं पर विमर्श किया। किस्से कस्बों से सत्र में अशोक पांडे और दीपक बलानी ने छोटे शहरों की कहानियों और अपने निजी अनुभवों को साझा किया, जो भारतीय लोक-जीवन से गहराई से जुड़े हुए थे। अशोक ने अपनी पुस्तक के माध्यम से दर्शकों को स्थानीय संस्कृति से जोड़ा।
मध्याह्न अवकाश के बाद द कैनवस ऑफ नैनीताल सत्र में अनूप साह और इंद्रजीत ने शालिनी शाह के साथ संवाद किया। उन्होंने नैनीताल के प्राकृतिक सौंदर्य, फोटोग्राफी और स्थानीय कृषि नवाचारों जैसे मशरूम उत्पादन और मधुमक्खी पालन पर अपने अनुभव साझा किए। जिंदगी से डरते हो – बुक लॉन्च कार्यक्रम में अमिताभ सिंह बघेल की पुस्तक का विमोचन किया गया। इस सत्र में गज़ल और नज़्म काव्य विधाओं के अंतर पर प्रकाश डाला गया, विशेष रूप से कवि नून मीम राशिद के योगदान को रेखांकित किया गया। मास्टर्स ऑफ स्पाइसेस सत्र में गुंजन गोयला, पुष्पेश पंत और सदाफ हुसैन ने अंशु खन्ना के साथ भारतीय खाद्य परंपराओं और संस्कृति के अटूट संबंध पर चर्चा की। रील टॉक: अनपैकिंग सिनेमा सत्र में बेला नेगी और संध्या मृदुल ने रूडी सिंह के साथ भारतीय सिनेमा के बदलते स्वरूप और उसकी सामाजिक भूमिका पर विचार साझा किए।
अंत में कुमाऊनी फाग लोक संगीत कार्यक्रम हुआ, जिसमें प्रभात गंगोला और उनकी टीम ने प्रस्तुति देकर कुमाऊँ की समृद्ध लोक संस्कृति को संगीत के माध्यम से जीवंत किया।

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