मिथकीय कथाओं और सुरों के संगम के साथ हुआ नैनीताल लिट्रेचर फेस्ट का समापन।

नैनीताल लिटरेचर फेस्टिवल 2025 के तीसरे दिन की शुरुआत साहित्य और संस्कृति के रंगों से सराबोर एक सत्र के साथ हुई। इस दिन कई महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किए गए, जिनमें साहित्य, मिथकीय कथाओं और सुरों का संगम देखने को मिला।

मुख्य सत्र:

– कालिदास और मल्लिका: मोहित सनवाल ने आषाढ़ का एक दिन नाटक के प्रमुख अंशों का भावपूर्ण पाठ किया और भारतीय थिएटर की सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डाला।
– नेचर’स नैरेटिव्स: अनील बिष्ट और हरविजय सिंह बोरा ने प्रकृति संरक्षण और वन्यजीवन पर अपने अनुभव साझा किए।
– मिथिक रियल्म्स: आनंद नीलकंठन और राजेश्वरी साईंनाथ ने भारतीय पौराणिक कथाओं की विविधता और शूर्पणखा के चरित्र पर चर्चा की।
– द आर्ट ऑफ सस्पेंस: ऋचा एस. मुखर्जी ने थ्रिलर लेखन की चुनौतियों और अनुभवों पर चर्चा की।
-ऑल ही लेफ्ट मी वाज ए रेसिपी: शेनाज़ ट्रेज़री ने अपनी व्यक्तिगत यात्रा और आत्म-खोज के अनुभव साझा किए।
-बेगम पारा: प्रत्यक्षा ने अपनी साहित्यिक यात्रा और प्रवास, विस्थापन जैसे मुद्दों पर चर्चा की।
– फ्रॉम द किंग्स टेबल: पुष्पेश पंत, नवाब काज़िम अली खान और सईद शेरवानी ने भारत की शाही रसोई पर संवाद किया।
– सर्कल्स ऑफ फ्रीडम: टीसीए राघवन ने समकालीन भारत में आज़ादी के मायनों और लोकतांत्रिक आकांक्षाओं पर बातचीत की।
– इंसैशिएबल शोभा: शोभा डे ने अपने लंबे साहित्यिक सफर, सामाजिक बदलावों और जीवन के प्रति अपनी जिज्ञासा के बारे में चर्चा की।
– फ्रॉम स्लमडॉग टू सेवन लाइव्स: विकास स्वरूप ने अपनी रचनात्मक प्रक्रिया और वास्तविक जीवन की प्रेरणाओं पर चर्चा की।

तीसरे दिन का समापन “ख़याल का सफ़र” नामक एक भव्य संगीत संध्या के साथ हुआ, जिसमें उस्ताद ग़ुलाम सिराज नियाज़ी और उनकी टीम ने रागों की सुरम्य धारा प्रवाहित की। इस संगीत संध्या ने पूरे फेस्टिवल को एक आत्मीय, दिव्य और अविस्मरणीय अनुभूति के साथ विदा किया।

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