चतुर्थी तिथि के देवता के रूप में सुखकर्ता श्रीगणेश सर्वत्र पूजे जाते हैं। संतानों को सभी कष्टों से मुक्ति दिलाने वाली संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत माघ कृष्ण पक्ष चतुर्थी को मनाया जाता है। इसे संकष्टी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ या माघी चौथ भी कहते हैं। इस दिन तिल का दान और सेवन करने का विशेष महत्व है। धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों के अनुसार इस व्रत और दान से कष्टों का निवारण होता है। सुख-समृद्धि बढ़ती है और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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संकष्टी चतुर्थी पर दान का महत्व:
आचार्य हिमांशु मिश्रा ने बताया कि तिल चौथ के दिन तिल से बने व्यंजन भगवान गणेश को अर्पित किए जाते हैं और बाद में इनका दान किया जाता है। ऐसा शास्त्रों में कहा गया है।
“तिलं ददाति यः भक्त्या सर्वपापैः प्रमुच्यते।”
अर्थात, जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से तिल का दान करता है, वह अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार तिल का दान करने से व्यक्ति के सभी जाने-अनजाने पापों का नाश होता है और पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
मत्स्य पुराण के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु के पसीने से उत्पन्न तिल और माता लक्ष्मी के द्वारा प्रकट किए गन्ने के रस से बने गुड़ का तिलकुटा बनाकर उसे दान करना चाहिए।
संकष्टी चतुर्थी पर तिल दान का होता है विशेष महत्व, माघ माह कृष्ण पक्ष चतुर्थी को लिया जाता है संकष्टी व्रत।
